बीते वर्ष 2019 में जिन राजनेताओ ने अपनी प्रखरताए विरोध व उपस्थिति दर्ज कराकर राष्ट्रीय परिदृश्य में अपने को चमकते तारे के रूप में प्रतिष्ठित कियाए शुमार किया हैए उनका संक्षिप्त विवरण निम्नवत है।
अमित शाह
अमित शाह ने खुद को राजनीति का एक ऐसा खिलाड़ी साबित किया है जिनकी क्षमता सार्वजनिक आकलन से हमेशा बहुत आगे रहती है। मोदी सरकार में गृहमंत्री बनने के बाद अनुच्छेद 370 और फिर नागरिकता संशोधन अधिनियम पर मजबूती से एक्शन लेते हुए उन्होंने अपनी मजबूती साबित कर दी है। तीन तलाक ए अनुच्छेद370 और नागरिकता जैसे हर मुद्दे पर संसद में इसे पार लगाने का पूरा जिम्मा प्रधानमंत्री ने शाह पर छोड़ा था ए जिसे उन्होंने बखूबी पूरा किया है।
प्रियंका गांधी
बड़ी उम्मीदों के साथ प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण जिमेदारी दी गई है। वर्तमान समय में वे महासचिव और उत्तरप्रदेश की प्रभारी बन गई हैं। परंतु कांग्रेस की स्थिति में सुधार का इंतज़ार खत्म नही हो रहा है। जो काम राहुल नही कर पाए आशा की जा रही है कि वो काम प्रियंका कर लेंगी। युवाओं में उनका तिलस्म सर चढ़कर बोल रहा हैए वे जहां भी जाती हैंए पार्टी में नई जान फूंक देतीं है। आने वाले समय में निःसन्देह प्रियंका पार्टी के लिए तुरुप का पत्ता साबित होंगी।
नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष ही नहीं बल्कि आने वाले कई वर्षों तक देश विदेश में चर्चा के केंद्र रहेंगे। वो कश्मीर मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप से साफ बोल देते हैं कि ये हमारा आंतरिक मामला है। हाउदी मोदी कार्यक्रम में उन्होंने अपनी सर्वमान्यता से सम्पूर्ण विश्व को अवगत कराया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने अकेले दम पर 300 से अधिक सीटे जीतकर सत्ता में दुबारा वापस आई।
ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल में करीब आठ साल पहले वामपंथ के दुर्ग को ध्वस्त कर सत्ता में आई ममता बनर्जी वर्तमान समय में केंद्र सरकार के धुर विरोधियों में शुमार हैं। इन्होंने मोदी की हर नीतियों के खिलाफ मजबूती से मोर्चा खोला है।
हालांकि आगामी चुनावों में तृणमूल कांग्रेस को भाजपा से कड़ी टक्कर मिलने जा रही हैं एजिसके संकेत लोकसभा चुनाव में ही मिल गए हैं। साल के अंत में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल की सड़कों पर ममता बनर्जी का उतरना प्रदेश के मजबूत मुस्लिम वोट बैंक को गोलबंद करने की उनकी कवायद का ही हिस्सा माना जा रहा है।
शरद पवार
शरद पवार 80 वर्ष की उम्र में आज भी महाराष्ट्र के सबसे दिग्गज़ नेता माने जाते हैं। भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद पार्टी के विधायकों को संभालकर कर रखने व शिवसेना के नेतृत्व में त्रिदलीय सरकार बनाने का श्रेय सिर्फ और सिर्फ शरद पवार को ही जाता है।
सच में अगर उन्होंने मजबूती से मोर्चा नही सम्भाला होता तो स्थिति कुछ और ही होती। पवार जी 27 वर्ष की उम्र में बारामती से पहली बार विधायक चुने गए लेकिन 11 वर्ष बाद ही 1978 में अपने ही राजनीतिक गुरु यशवंतराव चह्वाण को गच्चा देकर 38 वर्ष की उम्र में ही राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बन बैठे।
योगी आदित्यनाथ
वर्ष 2019 के कुंभ मेले को शानदार ढंग से आयोजित करवाने वाले योगी जी वर्ष की चर्चित हस्तियों में से एक हैं। उन्होंने कुंभ आयोजन को अपनी प्रतिष्ठा बना लिया था।
ठीक इसी तर्ज पर उन्होंने अयोध्या में शानदार ढंग से दीपोत्सव का भी आयोजन करके सम्पूर्ण राष्ट्र का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया है। आज अयोध्या ने विकास और अभिमान की अंगड़ाई ली है तो श्रेय योगी आदित्यनाथ को ही जाता है।
अरविंद केजरीवाल
पिछले वर्ष की चर्चित हस्तियों में केजरीवाल का नाम प्रमुखता से रहा है। भारतीय राजस्व सेवा की शानदार जॉब छोड़कर सामाजिक सुधार की राह पकड़ने वाले अरविंद केजरीवाल ने अत्यल्प समय में ही राष्ट्रीय राजनीति में अपना अलग स्थान बना लिया है।
मोदी के खिलाफ एकजुट हुए समस्त विपक्ष में केजरीवाल एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं।ष् सूचना का अधिकार श् कानून के लिए संघर्ष की राह केजरीवाल की विशिष्ट पहचान है। उनसे दिल्ली के राज्यपाल की कभी नहीं बनी ए यह अनबन सुप्रीम कोर्ट तक पहुँची। एक जुझारू नेता व प्रगतिशील मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल की विशिष्ठ पहचान है।
असद्दुदीन ओवैसी
आल इंडिया मजलिसे इत्तेहाद मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओवैसी प्रगतिशील मुसलमानों के चर्चित चेहरे के रूप में जाने जाते हैं।
बीते साल अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सर्वाधिक मुखर विरोध इन्होंने ही किया था। फैसले पर असहमति जाहिर करते हुए उन्होंने कहा था कि . मुसलमानों को पाँच एकड़ जमीन खैरात में नही चाहिए।
वे नौकरी व शिक्षा संस्थाओं में अति पिछड़े मुस्लिमो के आरक्षण का पुरजोर समर्थन करते हैं।
निष्कर्ष
अन्ततोगत्वा यह कहा जा सकता है कि बीते साल में इन नेताओं ने अपने क्रिया कलापों से राष्ट्रीय राजनीति को वृहद ढंग से प्रभावित किया है। वह चाहे विरोध की राजनीति हो या समर्थन की।