Site stats मनोहर पर्रिकर के विषय में 7 तथ्य जो आप शायद नहीं जानते – Brain Berries

मनोहर पर्रिकर के विषय में 7 तथ्य जो आप शायद नहीं जानते

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भारत की राजनीति में कुछ ऐसे राजनेता मौजूद हैंए जिनकी स्वच्छ छवि से हम भली भांति परिचित हैं। मनोहर पर्रिकर जी इन्ही नेताओं में से एक थे। उन्हें हम उनके कार्यों और उनकी ईमानदारी के लिए आज भी याद करते हैं। पर्रिकर जी ने एक छोटे से राज्य से अपना राजनीति का सफर शुरू करने किया और अपनी मेहनत के दम पर अपना स्थान बनाया। स्थान बनाया। आज हम उन्हीं के विषय में बताने जा रहे हैं ।

1. जीवनपरिचय
13 दिसंबर 1955 को जन्मे मनोहर पर्रिकर का जन्म स्थल गोवा का मापुस नामक स्थान है। इनके पिता गोपालकृष्ण पर्रिकर एवं माता राधाबाई थीं। इन्होंने लोथोला हाई स्कूल में अध्ययन किया। इनकी शिक्षा का माध्यम मराठी था। इन्होंने मुंबई के प्रौद्योगिकी संस्थान से प्रौद्योगिकी की पढ़ाई की। भारतीय विधायक के रूप में कार्य करने वाले यह आई.आई.टी. के पहले पूर्व छात्र थे। इनका विवाह मेघा पर्रिकर से हुआ जिनसे इनके दो पुत्र अभिजीत और उत्पल हैं। दोनों ही राजनीति से दूर व्यापर कर रहे हैं।

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2. राजनैतिकयात्रा
बेदाग छवि वाले पर्रिकर पहले नेता हैं जो भाजपा की ओर से गोआ के मुख्यमंत्री बने। वह इससे पहले भी तीन बार गोआ के मुख्यमंत्री बन चुके थे। लेकिन उनका शासन अल्प अवधि का रहा। कुछ भाजपा नेताओं के दल छोड़ देने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटना पड़ा। वह 2014 में भारत के रक्षा मंत्री भी बने। मार्च 2017 में गोआ में भाजपा का बहुमत साबित होने के बाद वह चौथी बार गोआ के मुख्यमंत्री बने।

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3. सादाजीवन
उच्च विचार- मनोहर पर्रिकर एक साधारण व्यक्तित्व के इंसान थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह मुख्यमंत्री आवास में न रहकर स्वयं के छोटे से घर में रहते थे। कभी-कभी वह चाय की गुमटी पर चाय पीते भी दिख जाते थे। वह अपने स्कूटर से विधान-सभा जाते थे। वह संचार माध्यम से लोगों से जुड़े रहते थे तथा यथासंभव उनकी मदद करने का प्रयास करते थे। वह प्रतिकूल परिस्थितियों का साहस के साथ सामना करते थे।

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4. आर.एस.एस. केप्रचारक
पर्रिकर ने अपने राजनैतिक जीवन की यात्रा आर.एस.एस. के प्रचारक के रूप में आरंभ की। आई.आई.टी. मुंबई से इंजीनियरिंग करने के बाद भी संघ के लिए काम करना समाप्त नहीं किया।

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5. प्रथमप्रयासमेंअसफलता
गोआ में चार बार मुख्यमंत्री बनने वाले आर.एस.एस. प्रचारक पर्रिकर अपने प्रथम चुनावी युद्ध में असफल रहे। 1991 के लोकसभा चुनाव में वह कांग्रेस के उम्मीदवार हरीश झांटे से पराजित हो गए।

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6. अवैधखननकेखिलाफअभियान
पर्रिकर ने राज्य में अवैध खनन के विरोध में एक अभियान आरंभ किया था जो बाद में कांग्रेस विरोधी रैली के रूप में बदल गया। विपक्ष के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

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7. पेट्रोलकीकीमतमेंकमी
2012 में अपने तीसरे कार्यकाल के समय पार्टी के घोषणा पत्र के साथ पर्रिकर ने राज्य में पेट्रोल की कीमत में लगभग 11 रूपए प्रति लीटर की कटौती की। उनके इस कदम ने रातों-रात उन्हें लोकप्रिय बना दिया।