विनोद खन्ना, 70 और 80 के दशक के एक चमकते सितारे, ने उस दौर में बॉलीवुड छोड़ने का फैसला किया जब वे सफलता की ऊंचाइयों पर थे। उन्होंने अपनी अदाकारी और आकर्षक व्यक्तित्व से लाखों दिलों पर राज किया। लेकिन अचानक, उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर आध्यात्मिक गुरु ओशो के साथ अमेरिका में उनके आश्रम में जाने का निर्णय लिया। यह कदम उनके करियर के साथ-साथ उनके निजी जीवन पर भी बड़ा असर डालने वाला था। विनोद के इस अप्रत्याशित फैसले ने उनके दोस्त और साथी कलाकार अमिताभ बच्चन सहित पूरे बॉलीवुड को हैरान कर दिया।
अमिताभ बच्चन और अन्य कलाकारों की अपील
जब विनोद खन्ना ने बॉलीवुड छोड़ने का इरादा किया, तो उनके दोस्त और साथी अभिनेता अमिताभ बच्चन ने उन्हें इस फैसले से रोकने का प्रयास किया। अमिताभ ने विनोद से विनती की कि वे अपने करियर को यूं ही न छोड़ें और दोबारा सोचें। शशि कपूर सहित कई अन्य साथी कलाकारों ने भी उन्हें इस निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा। इंडस्ट्री के निर्देशक और अभिनेताओं ने विनोद को समझाने की कोशिश की कि यह निर्णय उनके करियर के लिए सही नहीं होगा। लेकिन विनोद का इरादा पक्का था, और उन्होंने सभी सलाहों को दरकिनार कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को प्राथमिकता दी।
विनोद खन्ना का ओशो के प्रति समर्पण
विनोद खन्ना के आध्यात्मिकता की ओर झुकाव ने उन्हें ओशो के आश्रम की ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने परिवार और सफल करियर से दूर होकर, ओशो के साथ रहने का निर्णय लिया। अमेरिका के रजनीशपुरम में स्थित ओशो के आश्रम में उन्होंने कई साल बिताए। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ अपने करियर से किनारा किया बल्कि अपने पिता और पति के कर्तव्यों को भी कुछ हद तक अनदेखा किया।
विनोद का मानना था कि यह निर्णय आत्मिक शांति और स्वयं की तलाश के लिए आवश्यक था। उनके लिए यह आध्यात्मिक यात्रा इतनी महत्वपूर्ण थी कि उन्होंने अपने परिवार की नाराज़गी और समाज की आलोचना का सामना करने का भी साहस किया।
परिवार और करियर पर फैसले का असर
विनोद खन्ना के इस निर्णय का उनके परिवार पर भी गहरा असर पड़ा। उनके इस अचानक कदम से उनका परिवार काफी दुखी था। उन्होंने यह निर्णय लिया कि उन्हें अपने आत्मिक सफर पर जाना ही है। खुद विनोद ने एक इंटरव्यू में यह स्वीकार किया था कि उनका यह फैसला ‘स्वार्थी’ था, क्योंकि ऐसी यात्रा पर जाने के लिए आत्मिक रूप से मजबूत और दृढ़ निश्चयी होना पड़ता है। विनोद का मानना था कि आत्मिक शांति की तलाश में हर इंसान को अपना रास्ता खुद बनाना पड़ता है।
बॉलीवुड में वापसी का सफर
कई वर्षों तक ओशो के आश्रम में बिताने के बाद, जब आश्रम को बंद कर दिया गया, तब विनोद खन्ना ने फिर से बॉलीवुड की ओर रुख किया। वापसी आसान नहीं थी, लेकिन उन्होंने अपने मजबूत इरादों और अभिनय की कला के दम पर फिर से इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। दर्शकों ने उनके नए अंदाज को पसंद किया और उनके करियर में दोबारा जान आई। उनकी वापसी ने यह साबित कर दिया कि असली कलाकार अपनी कला और मेहनत से किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है।
विनोद खन्ना का निर्णय एक साहसिक कदम
विनोद खन्ना का बॉलीवुड छोड़कर आध्यात्मिकता की ओर बढ़ना एक साहसिक निर्णय था। यह केवल एक करियर को छोड़ने का मामला नहीं था, बल्कि अपने मन की शांति और आत्मसाक्षात्कार की तलाश थी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि जब इंसान को अपनी आत्मा की आवाज़ सुनाई देती है, तो वह किसी भी कठिनाई का सामना कर सकता है। यह निर्णय भले ही करियर के लिहाज से जोखिम भरा था, लेकिन विनोद खन्ना ने इसे एक नई राह के रूप में अपनाया। उनकी यह कहानी एक सच्चे कलाकार के संघर्ष, त्याग और आत्म-साक्षात्कार की प्रेरणादायक मिसाल है।