Site stats जानें कैसे सायरा बानो ने सबकी नाराज़गी के बावजूद फ़िल्मी दुनिया में बनाई अपनी पहचान! – Brain Berries

जानें कैसे सायरा बानो ने सबकी नाराज़गी के बावजूद फ़िल्मी दुनिया में बनाई अपनी पहचान!

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दिलीप कुमार की ख्याति के पीछे कहीं न कहीं हमने सायरा बानो को केवल ‘ट्रेजेडी किंग’ की पत्नी मान लिया है, लेकिन वह खुद भी एक सफल और प्रतिभाशाली अभिनेत्री रही हैं। 1988 तक, सायरा बानो हिंदी सिनेमा की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्रियों में से एक थीं। उन्होंने अपने करियर में कई हिट फ़िल्में दीं और बिना किसी पेशेवर प्रशिक्षण के एक बेहतरीन नर्तकी के रूप में भी जानी जाती थीं। उनकी शुरुआत 1961 की फ़िल्म ‘जंगली’ से हुई, जिसमें वह शम्मी कपूर के साथ नज़र आईं।

सायरा बानो का बचपन और परिवार

सायरा बानो का जन्म नसीम बानो के घर हुआ था, जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं। नसीम बानो क्लासिकल गायिका और तवायफ चमियान बाई की बेटी थीं। सायरा बानो ने दूरदर्शन के एक साक्षात्कार में बताया कि अभिनेता अशोक कुमार ने एक बार कहा था, “जब आपकी मां किसी कमरे में प्रवेश करती थीं, तो वह कमरा रोशनी से भर जाता था।”

हालांकि, सायरा की नानी को नसीम का अभिनेत्री बनना पसंद नहीं था। वह चाहती थीं कि उनकी बेटी डॉक्टर बने, लेकिन नसीम बानो ने अपनी जिद्द के कारण सोहराब मोदी की फ़िल्म ‘हैमलेट’ से अभिनय की दुनिया में कदम रखा।

सायरा बानो का शिक्षा और फ़िल्मी सफर

सायरा बानो को बचपन में ही यूके भेज दिया गया था ताकि वे पढ़ाई में ध्यान दे सकें। एक साक्षात्कार में सायरा ने बताया, “मेरी मां चाहती थीं कि मैं वकील या डॉक्टर बनूं, लेकिन मैं हमेशा से फ़िल्मों में आना चाहती थी।” जब सायरा की उम्र 14 साल थी, तब वह अपनी छुट्टियों के दौरान भारत आईं और फ़िल्म ‘मुगल-ए-आज़म’ के सेट पर दिलीप साहब को देखा। तभी उन्हें फ़िल्मों के ऑफर भी मिलने लगे। ‘जंगली’ फ़िल्म के लिए उन्हें काफ़ी विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपना फ़िल्मी करियर शुरू किया।

‘जंगली’ की शूटिंग के दौरान का संघर्ष

‘जंगली’ फ़िल्म की शूटिंग के दौरान सायरा को अपने अभिनय पर भरोसा नहीं था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया, “मैं बहुत असुरक्षित महसूस करती थी। मुझे नृत्य भी नहीं आता था, और मेरी हिंदी और उर्दू भी अच्छी नहीं थी।” कश्मीर के शालीमार बाग में फ़िल्म की शूटिंग के पहले दिन, जब सायरा एक गाने के लिए लिप-सिंक कर रही थीं, तो वह सही ढंग से कर नहीं पा रही थीं। शम्मी कपूर ने उन्हें डांटते हुए कहा, “अगर काम करना है, तो ठीक से करो।” इस पर सायरा रो पड़ीं। लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाला और बेहतर प्रदर्शन किया।

‘जंगली’ की सफलता और सायरा का करियर

‘जंगली’ रिलीज़ होने पर एक “डायमंड जुबली” बन गई, जिससे शम्मी कपूर और सायरा दोनों को ही स्टार्स बना दिया। यह फ़िल्म दिलीप कुमार की ‘गंगा जमुना’ के साथ कड़ी टक्कर में थी और दोनों ही फ़िल्में उस समय की बड़ी हिट साबित हुईं। ‘जंगली’ की सफलता ने बॉलीवुड में रंगीन फ़िल्मों के दौर की शुरुआत की।

सायरा बानो की कहानी हमें यह सिखाती है कि कैसे उन्होंने अपनी जगह बनाई, संघर्षों को पार किया और फ़िल्म इंडस्ट्री में एक सफल अभिनेत्री के रूप में खुद को स्थापित किया। उनका करियर इस बात का प्रमाण है कि सच्ची मेहनत और समर्पण से किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है।