Site stats देव आनंद की चमकदार दुनिया – हिंदी सिनेमा के सबसे प्यारे हीरो की अनदेखी कहानियाँ और उनकी अनोखी छवि – Brain Berries

देव आनंद की चमकदार दुनिया – हिंदी सिनेमा के सबसे प्यारे हीरो की अनदेखी कहानियाँ और उनकी अनोखी छवि

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देव आनंद, एक ऐसा नाम जो हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर में अपनी एक अलग ही चमक बिखेरता है। उनकी फ़िल्में सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं थीं, बल्कि वे गहरे और जटिल भावों को भी मुस्कान और गानों के माध्यम से बड़ी खूबसूरती से पेश करती थीं। 

हीरो और एंटी-हीरो का अनोखा मिश्रण

एक ऐसे दौर में जब हिंदी सिनेमा के हीरो अक्सर टूटे दिल और नेहरूवादी आदर्शों के पीछे भागते नज़र आते थे, देव आनंद एक अलग ही तरह के हीरो बनकर उभरे। उछलते बालों पर कैप, चेहरे पर मुस्कान, और गानों की धुन पर थिरकते कदम, यही उनकी पहचान थी। उन्होंने कभी खुद को भावुकता और आत्म-दया में नहीं डूबने दिया। उनके किरदार कभी एक शातिर टैक्सी ड्राइवर होते, तो कभी एक चालाक ठग जो मोक्ष की तलाश में निकल पड़ता। उनकी फ़िल्मों ने महिलाओं को आकर्षित किया और दर्शकों के दिलों में एक खास जगह बनाई।

सिनेमा में नवाचार के ध्वजवाहक

देव आनंद हमेशा अपने समय से आगे की सोच रखते थे। उन्होंने अपनी फ़िल्मों में गानों और डांस को इस तरह पिरोया कि हिंदी सिनेमा को एक नई दिशा मिली, खासकर ‘बाज़ी’ और ‘सी.आई.डी’ जैसी फ़िल्मों में। उन्होंने फ़िल्म के सेट से बाहर निकलकर असली दुनिया की हवा में सांस ली और उसे पर्दे पर उतारा। ‘बाज़ी’ में, गीता बाली द्वारा गाए गए गाने ‘तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले’ में छिपा संदेश था कि आदर्शवाद कैसे भ्रष्ट हो जाता है।

संगीत का जादूगर

देव आनंद ने संगीत को भी अपनी फ़िल्मों का एक अहम हिस्सा बनाया। उन्होंने नए संगीतकारों को मौका दिया और संगीत को फ़िल्म की आत्मा मानते हुए उसे पूरी शिद्दत से पेश किया। जब एस.डी. बर्मन बीमार थे, तब उन्होंने शैलेन्द्र को मौका दिया जिसके नतीजे में ‘गाइड’ जैसी अमर धुनें बनीं। ‘ज्वेल थीफ’ और ‘जॉनी मेरा नाम’ जैसी थ्रिलर फ़िल्मों से उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई।

निर्देशक के रूप में देव आनंद

देव आनंद सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं, बल्कि एक सफल निर्देशक भी थे। ‘प्रेम पुजारी’ में उन्होंने गोपालदास नीरज और एस.डी. बर्मन के साथ मिलकर काम किया, तो ‘हरे राम हरे कृष्णा’ में आर.डी. बर्मन और आनंद बक्शी के साथ एक नया संगीत तैयार किया। ‘दम मारो दम’ जैसे गाने ने युवाओं को अपना दीवाना बना लिया।

महिला किरदारों को दी नई ताकत

देव आनंद की फ़िल्मों में महिला किरदार हमेशा मजबूत और स्वतंत्र रहे हैं। ‘गाइड’ में वाहीदा रहमान के साथ उनकी जोड़ी ने उस दौर के सामाजिक बंधनों को चुनौती दी। उनकी फ़िल्में हमेशा कामकाजी महिलाओं को प्रोत्साहित करती थीं और उनके किरदारों को विचारशील और आज़ाद दिखाती थीं।

ज़िंदादिली की मिसाल

देव आनंद की जीवंत ऊर्जा और उनका अनोखा अभिनय उन्हें अपने दौर के दूसरे कलाकारों से अलग बनाता था। उनकी आत्मकथा और ‘हम दोनों’ का गाना ‘मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया’ उनकी ज़िंदादिली की कहानी बयां करते हैं।

देव आनंद का फ़िल्मी सफर और उनके द्वारा निभाए गए किरदार हमेशा दर्शकों के दिलों में ज़िंदा रहेंगे। उनका सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं था, बल्कि एक सशक्त कला का उदाहरण भी था।