Site stats धर्मेंद्र का 125 रुपए की तनख्वाह से लेकर फ़िल्म इंडस्ट्री के बादशाह बनने तक का दिलचस्प जीवन, जानिए उनकी पूरी कहानी! – Brain Berries

धर्मेंद्र का 125 रुपए की तनख्वाह से लेकर फ़िल्म इंडस्ट्री के बादशाह बनने तक का दिलचस्प जीवन, जानिए उनकी पूरी कहानी!

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बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का नाम सुनते ही आँखों के सामने एक्शन, रोमांस और सशक्त अभिनय की छवि उभर आती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि धर्मेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत बेहद मुश्किल परिस्थितियों में की थी? आज 88 साल की उम्र में भी फ़िल्मों में सक्रिय रहने वाले धर्मेंद्र का जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। चने खाकर दिन बिताना और 51 रुपए में बॉलीवुड का सफर शुरू करना, उनकी मेहनत और समर्पण का ही परिणाम था कि वे आज इंडस्ट्री के सबसे बड़े स्टार्स में शुमार होते हैं।

धर्मेंद्र का शुरुआती जीवन और संघर्ष

धर्मेंद्र का असली नाम धरम सिंह देओल है और उनका जन्म 8 दिसंबर, 1935 को पंजाब के कपूरथला जिले के साहनेवाल गांव में हुआ था। बचपन में ही उन्हें पहलवानी का शौक था और वे खेलकूद में काफ़ी आगे रहते थे। हालांकि, उनके जीवन की राह आसान नहीं थी। वे अपनी पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे और सिर्फ हाई स्कूल तक ही पढ़ाई कर पाए थे।

धर्मेंद्र का जीवन बॉलीवुड की चमक-धमक से पहले रेलवे में एक क्लर्क के तौर पर शुरू हुआ था। उनकी तनख्वाह थी सिर्फ 125 रुपए महीने। इसके बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और बॉलीवुड में अपने लिए जगह बनाने की जद्दोजहद जारी रखी।

फ़िल्मफेयर टैलेंट हंट और संघर्ष का दौर

धर्मेंद्र ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1958 में की थी। फ़िल्मफेयर द्वारा आयोजित टैलेंट हंट प्रतियोगिता में विजेता बनकर उन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। लेकिन शुरुआत में उन्हें बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई बार तो उन्हें भूख की हालत में चने खाकर दिन गुज़ारने पड़ते थे। कभी चने तो कभी ईसबगोल से पेट भरने वाले धर्मेंद्र के दिन बड़े संघर्षों में बीते।

धर्मेंद्र का एक किस्सा है जब एक बार वे और उनके दोस्त जुहू में रह रहे थे और वे भूख से परेशान थे। एक दिन उनके दोस्त के मेज पर रखा ईसबगोल का पैकेट देखकर उन्होंने पूरा पैकेट खा लिया, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें डॉक्टर के पास जाना पड़ा। ये घटना उस संघर्ष का प्रतीक थी जो उन्होंने अपने शुरुआती दिनों में झेला था।

धर्मेंद्र की फ़िल्में और कामयाबी

धर्मेंद्र के करियर में कई ऐस फ़िल्में आईं जिन्होंने उन्हें स्टार बना दिया। ‘सत्यकाम’, ‘शोले’, ‘धर्मवीर’, ‘बंदिनी’, ‘अनुपमा’, ‘जुगनू’, और ‘चुपके-चुपके’ जैसी फ़िल्में उनके अभिनय का गवाह बनीं। ‘शोले’ में उनके निभाए गए वीरू के किरदार ने उन्हें अमर कर दिया। वे सिर्फ हिंदी फ़िल्मों में ही नहीं, बल्कि पंजाबी फ़िल्मों में भी अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाते रहे।

1991 में धर्मेंद्र ने बतौर निर्माता अपनी फ़िल्म ‘घायल’ से सफलता हासिल की। इस फ़िल्म को फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। इसके अलावा 1997 में उन्हें फ़िल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाज़ा गया। उनके योगदान को देखते हुए 2012 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

धर्मेंद्र का परिवार और निजी जीवन

धर्मेंद्र की निजी जिंदगी भी काफ़ी दिलचस्प रही है। वे अभिनेता सनी और बॉबी देओल के पिता हैं, जो आज बॉलीवुड में बड़े नाम हैं। धर्मेंद्र की पहली शादी प्रकाश कौर से हुई थी, और बाद में उन्होंने हेमा मालिनी से शादी की।

धर्मेंद्र ने 2004 से 2009 तक बीजेपी के टिकट पर बीकानेर से सांसद का चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें राजनीति में ज़्यादा सफलता नहीं मिली। उन्होंने राजनीति में अपने अनुभव को लेकर कहा था कि उन्हें राजनीति में ज़्यादा रुचि नहीं थी, और वे एक्टिंग ही करना चाहते थे।

आज भी दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं धर्मेंद्र

आज भी धर्मेंद्र की स्टार पावर वही है, जो उनके करियर के शुरुआती दिनों में थी। 2011 में वे अपनी दोनों बेटों सनी और बॉबी के साथ फ़िल्म ‘यमला पगला दीवाना’ में नज़र आए। उनका जलवा आज भी बरकरार है और वे हर पीढ़ी के दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। धर्मेंद्र का जीवन यह साबित करता है कि कड़ी मेहनत, संघर्ष और समर्पण से किसी भी मुकाम को हासिल किया जा सकता है। धर्मेंद्र की कहानी हमें कभी हार नहीं मानने की प्रेरणा देती है।