पश्चिम बंगाल चुनाव में राज्य की जनता ने एक बार फिर से ममता बनर्जी को विजयी बनाया है और राज्य की कमान उन्हें सौंप दी है। ममता के सामने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के अन्य दिग्गज नेताओं की नहीं चली और अंततः ममता बनर्जी की जीत हुई। इस पोस्ट में जानेंगे ममता की जीत के 7 प्रमुख कारण।
1. बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा न करना
ममता की जीत की यह बड़ी वजह थी – बीजेपी द्वारा किसी को भी बंगाल चुनाव में मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया। ऐसा करने का कारण था पश्चिम बंगाल में बीजेपी के पास बड़े नेताओं की कमी। दिलीप घोष जैसे कुछ नाम थे लेकिन ममता बनर्जी के सामने वह नहीं टिक पा रहे थे।
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2. ममता की साफ और ईमानदार छवि
टीएमसी के पास ममता बनर्जी का चेहरा था जिनकी छवि साफ और ईमानदार नेता की बनी हुई है। भले ही टीएमसी की आलोचना होती थी, लेकिन इससे ममता की छवि पर कोई आँच नहीं आई और उन्होंने अपनी लोकप्रियता बरकरार रखी।
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3. बाहरी होने का मुद्दा
ममता की जीत की अगली बड़ी वजह बंगाली और बाहरी का मुद्दा। ममता ने इस मुद्दे को अच्छी तरह से भुनाया और बीजेपी पर लगातार हमला किया कि बीजेपी बाहरी लोगों को बंगाल ला रही है। यदि बीजेपी चुनाव जीतती है तो बाहर के लोग बंगाल को चलाएंगे।
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4. कांग्रेस ओर सीपीएम का वोट बैंक ममता के साथ गया
ममता की जीत की अगली वजह थी कांग्रेस ओर सीपीएम का वोट बैंक ममता के पक्ष में चले जाना। इन पार्टियों ने आंतरिक तौर पर ममता का समर्थन किया था और इस प्रकार से टीएमसी का वोट शेयर इतना बढ़ गया कि इससे मुकाबला करना बीजेपी के लिए नामुमकिन सा हो गया।
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5. ध्रुवीकरण की राजनीति
ध्रुवीकरण की राजनीति का दांव बीजेपी के अनुरूप नहीं चला। बीजेपी ने कई जगहों पर हिन्दू वोट तो एकजुट कर लिए लेकिन टीएमसी को ज्यादा फायदा मिला। ऐसा इसलिए हुआ कि एक तो मुस्लिम वोट एकजुट ममता को मिले, और दूसरी ओर बीजेपी को हिन्दू ध्रुवीकरण का उसके सोच के अनुसार फायदा नहीं मिला।
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6. ममता सरकार की योजनाओं का लाभ
ममता की जीत की बड़ी वजहों में से एक थी – ममता सरकार द्वारा चलाई जाने वाली विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं जिसमें सरकार द्वारा लोगों को नकद राशि प्रदान की जाती थी। ये योजनाएं बहुत लोकप्रिय हुईं और उनके पक्ष में गई। बीजेपी ने इन स्कीम्स में कट मनी और तोला मनी को लेकर टीएमसी पर हमलावर रही लेकिन बंगाल की जनता ने दीदी पर ही विश्वास जताया।
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7. वैयक्तिक टिप्पणी और एनी स्लोगन्स
बीजेपी के सभी दिग्गज नेताओं ने ममता बनर्जी पर वैयक्तिक टिप्पणी की। यहाँ तक की संवैधानिक पद पर आसीन लोगों यथा – प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के द्वारा अन्य संवैधानिक पद पर बैठे एक मुख्यमंत्री पर बार-बार टिप्पणी की जाती रही। बीजेपी को इसका भी खामियाजा भुगतना पड़ा। टीएमसी का स्लोगन ‘खेला होवे’ जोकि टीएमसी कार्यकर्त्ता द्वारा रचित एक गीत का अंश है, इसका भी दीदी की जीत में अहम योगदान रहा।
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