भारत प्रारम्भ से ही विश्व गुरु रहा है। तक्षशिला, नालन्दा, पाटलीपुत्र जैसे विश्वविद्यालय भारत की उन्नत वैचारिकता का यशोगान करते हैं। आधुनिक भारत भी अपनी शिक्षा व्यवस्था के कारण वैश्विक पटल पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराता रहा है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक अर्वाचीन व्यवस्था अपनी गौरव शाली परम्परा को यथावत रखने में कामयाब है।