बॉलीवुड की सुनहरी दुनिया में कई प्रेम कहानियाँ शुरू हुईं — कुछ परवान चढ़ीं, तो कुछ अधूरी रह गईं। ऐसी ही एक दिल छू लेने वाली कहानी है 60 के दशक की मशहूर अदाकारा मुमताज़ और रॉक एंड रोल हीरो शम्मी कपूर की।
1960 के दशक में मुमताज़ फ़िल्म इंडस्ट्री में नई थीं। फ़िल्म ब्रह्मचारी के सुपरहिट गाने “आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे” में उन्होंने दर्शकों का दिल जीत लिया।
इसी फ़िल्म के दौरान उनकी मुलाकात हुई शम्मी कपूर से, और पहली ही मुलाकात में दोनों के दिल एक-दूसरे के लिए धड़क उठे। प्यार परवान चढ़ा और शम्मी कपूर ने मुमताज़ को शादी के लिए प्रपोज़ कर दिया। लेकिन अफ़सोस, यह रिश्ता शादी तक नहीं पहुँच सका।
‘ब्रह्मचारी’ के सेट पर शुरू हुई एक मासूम सी मोहब्बत
शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर, कपूर खानदान के मुखिया थे और एक सख्त नियम का पालन करते थे — घर की बहुएँ कभी काम नहीं करेंगी। यह वह दौर था जब मुमताज़ ने बॉलीवुड में कदम रखा ही था। उनकी खूबसूरती, अदाकारी और चुलबुली मुस्कान ने दर्शकों का दिल जीतना शुरू कर दिया था।
इसी समय, उन्हें शम्मी कपूर अभिनीत फ़िल्म ब्रह्मचारी के हिट गाने “आज कल तेरे मेरे प्यार के चर्चे” में काम करने का मौका मिला।
परदे पर तो उनकी केमिस्ट्री ने आग लगा दी, लेकिन असल ज़िंदगी में भी दोनों के दिल एक-दूसरे के लिए धड़कने लगे। सेट पर मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा और जल्द ही शम्मी कपूर मुमताज़ को अपना दिल दे बैठे।
उन्होंने बिना देर किए मुमताज़ को शादी का प्रस्ताव दे दिया — यह किसी भी नई अदाकारा के लिए एक सपने जैसा पल होता, जब एक इतना बड़ा सुपरस्टार उसे शादी के लिए पूछता!
मुमताज़ भी शम्मी कपूर से बेइंतहा मोहब्बत करती थीं, लेकिन बावजूद इसके, उन्हें भारी मन से इस प्रस्ताव को ठुकराना पड़ा।

‘मेरा नाम जोकर’ और अधूरे सपने
राज कपूर अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म मेरा नाम जोकर के लिए कास्टिंग कर रहे थे। एक भूमिका के लिए उन्होंने एक विदेशी अभिनेत्री को चुना था, लेकिन उससे पहले उन्होंने मुमताज़ की तस्वीरें देखी थीं।
मुमताज़ उस समय बहुत छोटी थीं और बेहद खूबसूरत दिख रही थीं।
राज कपूर ने शम्मी कपूर से पूछा, “शम्मी, तू शादी कर रहा है क्या?”
शम्मी कपूर ने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता, यह निर्भर करता है।” क्योंकि शम्मी को भी उस समय मुमताज़ के फ़ैसले का इंतज़ार था।
राज कपूर ने फिर मुमताज़ से कहा कि वह उन्हें अपनी फ़िल्म में नहीं ले सकते, क्योंकि उनके घर का यह नियम है।

मुमताज़ का सम्मान और निजी जीवन
मुमताज़ ने हमेशा इस बात को स्वीकार किया कि कपूर परिवार का यह नियम अपनी जगह बिल्कुल सही था। उन्होंने कभी भी उन्हें दोष नहीं दिया, क्योंकि वह अच्छी तरह जानती थीं कि यह उनके घर की परंपरा थी।
उस दौर में गीता बाली जैसी मशहूर अभिनेत्री को भी शादी के बाद अपना फ़िल्मी करियर छोड़ना पड़ा था।
मुमताज़ ने पृथ्वीराज कपूर के बनाए उस नियम का सम्मान किया और माना कि उस समय कई परिवार ऐसे थे, जो अपनी पत्नियों के काम करने के खिलाफ थे।
शम्मी कपूर की पहली शादी अभिनेत्री गीता बाली से हुई थी, जिनका 1965 में निधन हो गया। इसके बाद उन्होंने 1969 में नीला देवी से विवाह किया।
मुमताज़ ने भी 1974 में बिज़नेसमैन मयूर माधवानी से शादी कर ली और एक नया जीवन शुरू किया।

शम्मी कपूर की आख़िरी बर्थडे पार्टी और मुमताज़ की आँखों में आँसू
शम्मी कपूर के आख़िरी जन्मदिन पर मुमताज़ को उनकी पत्नी द्वारा आमंत्रित किया गया था। जब मुमताज़ वहाँ पहुँचीं, तो उन्होंने शम्मी को कुर्सी पर बैठे देखा — कमज़ोर शरीर, लेकिन हाथ में अब भी शराब का गिलास था।
मुमताज़ ने हैरानी से पूछा, “आप बीमार हैं, फिर भी पी रहे हैं?”
शम्मी ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, “अब ज़्यादा जीना नहीं है, तो मज़ा तो लेना है।”
उस जवाब में ज़िंदगी के प्रति उनका नज़रिया और अंदर छुपा दर्द — दोनों झलक रहे थे।
मुमताज़ चुपचाप उनके पास बैठीं, कुछ पल बिताए और भारी मन से वापस लौट आईं। उस मुलाकात की याद ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया।

एक अधूरी लेकिन सच्ची मोहब्बत
मुमताज़ और शम्मी कपूर की कहानी उस दौर की एक ऐसी मोहब्बत थी, जो सच्ची थी लेकिन मुक़म्मल नहीं हो सकी।
दो लोगों के बीच गहराता प्यार सिर्फ़ एक पारिवारिक परंपरा की वजह से रुक गया — एक ऐसा नियम, जिसे दोनों ने सम्मान दिया, लेकिन जिसकी कीमत दिल तोड़कर चुकानी पड़ी।
