हमने कई साइंस फिक्शन या टीवी शो में देखा है कि मन पर नियंत्रण की शक्ति कितनी शक्तिशाली हो सकती है। इसको साइंस की भाषा में टेलीकिनेसिस कहा जाता है। अफसोस की बात है कि यह आज भी महज़ हमारी कल्पनाओं तक ही सीमित है। लेकिन अब हम जो बताने जा रहे हैं वो आपको रोमांचित कर देगा।
एयर फोर्स इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय और सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है अगर वास्तविक दुनिया में टेलीकिनेसिस जैसी क्षमताओं को विकसित कर लिया जाए तो क्या क्या संभावनाएं हो सकती है।
हाल में ही रिलीज़ हुए टीवी के हिट शो “स्ट्रेंजर थिंग्स” में हमने देखा कि इलेवन नाम की एक कैरेक्टर की सर पर कैसे तारों का जंजाल लगाया गया और फिर वह अपने दिमाग के शक्तियों को शो करती है। ऐसे ही ना जाने कितने ही शो और वेब सीरीज़ हम दिखाए गए हैं।
क्या मनुष्य सच में इलेवन जैसी क्षमताओं को विकसित कर सकता है? टेलीकिनेसिस क्या है? मानव विकास के अगले चरणों में टेक्नोलॉजी क्या भूमिका निभाने वाली है? ये सब सवाल आपके मन में आना बिल्कुल जायज़ है। आज के इस लेख में हम इन सभी सवालों को ले उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
टेलीकिनेसिस क्या है?
टेलीकिनेसिस शब्द ग्रीक शब्द “माइंड” और “मोशन” से आया है। अपने सबसे बुनियादी रूप में, टेलीकिनेसिस जिसे साइकोकाइनेसिस के रूप में भी जाना जाता है। यह आपके दिमाग से वस्तुओं को स्थानांतरित करने की शक्ति है। यह शक्ति अक्सर अलग अलग लोगो के लिए भिन्न भिन्न होती है जो उनकी शक्तियों की उत्पत्ति, ट्रेनिग, आयु आदि पर निर्भर करती है।
जैसा कि बस्टल ने उल्लेख किया है, “स्ट्रेंजर थिंग्स” में इलेवन का कैरेक्टर बड़ी वस्तुओं को फेंकने, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चालू और बंद करने, कांच तोड़ने और अन्य मनुष्यों के शारीरिक कार्यों को प्रभावित करने में सक्षम है। वह अन्य आयामों तक पहुंचने में भी सक्षम है।
यह पहले से ही सिद्ध किया गया है कि एक मानव मस्तिष्क सोचते समय अपने स्वयं के मस्तिष्क की तरंगें बनाता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि इन दिमाग के तरंगों को इकट्ठा करके और उन्हें मेटासर्फ्स के नियंत्रण संकेतों के रूप में उपयोग करके कोई भी व्यक्ति अपने दिमाग को नियंत्रित कर सकता हैं।
टेलीकिनेसिस का एक संक्षिप्त इतिहास
इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि टेलीकिनेटिक शक्तियां वास्तविक हैं। अगर इस बारे में आप खोज करने जाएंगे तो आपको सैकड़ों यूट्यूब विडियोज़ मिल जायेंगे पर सब यहां वहा की फिज़ूल बाते करते है। किसी के पास सिद्ध करने के लिए कोई सबूत नहीं है।
हाल ही में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर मार्क ब्रीडलोव ने उल्लेख किया है, इस तरह के दिखाते गए मूवी और टीवी शो वास्तविक जीवन से मेल नहीं खाते हैं। टेलीकिनेटिक क्षमताओं का समर्थन करने के लिए कोई निर्णायक सबूत अब तक नहीं मिला है।
क्या होगा इसका भविष्य?
वर्तमान में हो सकता है कि हम टेलीकिनेसिस से काफ़ी दूर नज़र आ रहे हो। लेकिन हमे ये नही भूलना चाहिए कि विज्ञान में अपार संभावनाएं है। वैज्ञानिकों ने हमें वो सब संभव कर के दिखाया है, जिसके बारे में हम कभी सोच भी नहीं सकते थे।
जानी मानी पत्रिका साइकोलॉजी टुडे ने उल्लेख किया है, तकनीक ब्रेन और कंप्यूटर इंटरफेस का लाभ उठाकर माइंड और मैटर के बीच की दूरी को कम करने में मदद कर सकती है। हो सकता है कि दिमाग को किसी कंप्यूटर या अन्य उपकरण से जोड़े बिना सीधा दिमाग में होने वाली हरकतों का जायज़ा लिया जा सके और उसको कंट्रोल भी किया जा सके।
दुनिया भर के तमाम वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस दिशा में कार्यरत हैं। वो लगातार नए नए शोध कर रहे हैं। अब बस हम ये देखना है कि क्या इंसान सच में अपने दिमाग के अन्य हिस्सों का उपयोग करके खुद को और अन्य चीजों को कंट्रोल कर सकता है।