मनुष्य इस सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह सिर्फ इच्छा-प्रधान नहीं वरन महत्वाकांक्षी भी होता है। वह लगातार अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास में लगा रहता है। लक्ष्य प्राप्ति के लिए निराश हुए बिना स्वयं को निरंतर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होती है। यहाँ हम आपको स्वयं को प्रोत्साहित करने के कुछ तरीके बता रहे हैं।
1.समय का सदुपयोग
समय अमूल्य है। इसकी विशेषता यह है कि यह कभी वापस नहीं आता। जो भी समय के इस रहस्य को समझ कर स्वीकार लेता है, वह बड़ी से बड़ी उपलब्धियाँ प्राप्त करता है। मनुष्य के लक्ष्य की सफलता भी समय के सदुपेयोग पर निर्भर होती है। समय महाशक्तिशाली है। इसका सदुपयोग कर अयोग्य योग्य बन सकता है और निर्धन धनी।
2. लक्ष्य निर्धारण के कार्यों की सूची बनाएँ
अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आपको क्या-क्या कार्य करने हैं, क्रमानुसार उनकी सूची बनाएँ। कार्यों को प्राथमिकता के अनुसार बाँटकर निश्चित अवधि में पूरा करना ही व्यक्ति की श्रेष्ठता का सूचक है। जो लोग कार्य के महत्व को ठीक से न समझ कर उन्हें क्रम से नहीं बाँटते हैं, वह आत्मविश्वास के साथ कार्य को पूर्ण नहीं कर पाते हैं।
3. मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
यह साधारण सी पंक्ति मनुष्य के जीवन का दर्शन है। मन की जीत से ही सफलता और उपलब्धियों का जन्म होता है। मन की निराशा मनुष्य के जीवन पर लगा पूर्ण विराम है जो प्रगति एवं समृद्धि के समस्त रास्ते बंद कर देती है। विजय उन्हीं को मिलती है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानते हुए निरंतर प्रयास करते रहते हैं।
4. कठिन परिश्रम
मनुष्य के विकास की कथा परिश्रम पर आधारित है। परिश्रम के बल पर ही वह आज यहाँ तक पहुँचा है। परिश्रम ही जीवन है परिश्रमी की सदा विजय होती है। परिश्रमी व्यक्ति के पास सुख संपदा स्वयं चली आती है। परिश्रम एक कल्पवृक्ष के समान है जिससे मनुष्य की सभी इच्छाएँ पूर्ण हो जाती है।
5. लक्ष्य निर्धारण
लक्ष्यहीन जीवन निरर्थक है। जो मनुष्य अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेता है, वह उसे पूर्ण करने का प्रयत्न भी करता है, साथ ही लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करता है। कुछ लोग लक्ष्य निर्धारण को व्यर्थ और ख्याली पुलाव समझ कर स्वयं को भाग्य के भरोसे छोड़ देते हैं और असफलता का सामना करते हैं।
6. सतत प्रयास
निरंतर प्रयास करने वाले व्यक्ति के लिए जीवन में कुछ भी करना कठिन या असंभव नहीं है। मनुष्य यदि लगन के साथ निरंतर प्रयास करता रहे तो एक-न-एक दिन अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकता है। कुछ कर दिखाने के लिए दृढ़ निश्चय की ही नहीं वरन निरंतर परिश्रम और अभ्यास की भी आवश्यकता होती है। सतत प्रयास ही सफलता की कुंजी है।
7. उच्चकोटि की पुस्तकों का अध्ययन
पुस्तकें केवल ज्ञान प्रदायिनी नहीं अपितु जीवन की मार्गदर्शक भी हैं। पुस्तकें पढ़ना समय का सर्वश्रेष्ठ उपयोग है। यह एक उत्तम साथी की तरह सदैव हमारे साथ रहती हैं। हमें सही राह दिखाती हैं। सफलता प्राप्त करने के लिए ऐसी पुस्तकें पढ़नी चाहिए जिनसे व्यक्तित्व का विकास हो।
8. सच्चे मित्र की संगति
सच्चा मित्र हमारा पथ प्रदर्शक होता है जो हमें सही और गलत की पहचान कराता है। मित्रता एक शक्तिवर्धक औषधि के समान होती है जो मनुष्य में उत्साह भर देती है। विपत्ति के समय जिस प्रकार खजाना हमारी आर्थिक सहायता करता है उसी प्रकार एक सच्चा मित्र अपने मित्र का दुःख बाँटकर उसका मनोबल बढ़ाता है। मनुष्य को सदैव यह स्मरण रखना चाहिए कि पुरूषार्थ के बल पर वह किसी भी परिस्थिति का सामना कर सकता है। समयानुसार मनुष्य को कभी अच्छी परिस्थिति मिलती है तो कभी विपरीत। ऐसे समय में उसे आशावादी दृष्टिकोण के साथ निरंतर स्वयं को प्रोत्साहित कर प्रयास करते रहना चाहिए क्योंकि असफलता ही सफलता का आधार होती है।